sidh kunjika - An Overview
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शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
अति गुह्यतरं देवि ! देवानामपि दुलर्भम्।।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।
श्री मनसा देवी स्तोत्रम् (महेंद्र कृतम्)
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अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं ।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।